मेघ उमड़ आये….
***मेघ उमड़ आये****
रूपसी सुन तेरा मधुर स्वर ,
सहसा मेघ उमड़ आये।
जलते कण की पुकार सुन,
आज मेघ उभर आये।
पुलकित होकर धरा,
निहारती नभ दर्पण है।
ओढ़ कर अब हिम चादर,
किया आत्म-समर्पण है।
दामिनी दमक संग ,
रिमझिम रिमझिम बरस आये।
रूपसी सुन तेरा मधुर स्वर,
सहसा मेघ उमड़ आये।।
@शिल्पी सिंह