Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Oct 2016 · 1 min read

में भी कुछ करना चाहता हु

में भी कुछ करना चाहता हु , इक हुनर में भी सीखना चाहता हु, कुछ बंदिशे मुझे रोके रखती हे बस इन बंदिशों से निकलना चाहता हु, में भी इन रास्तो पर चलकर कुछ करना चाहता हु काबिलियत के लिए इक हुनर में भी सीखना चाहता हु , by pratik jangid 01-10-2016

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 516 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भारत को आखिर फूटबौळ क्यों बना दिया ? ना पड़ोसियों के गोल पोस
भारत को आखिर फूटबौळ क्यों बना दिया ? ना पड़ोसियों के गोल पोस
DrLakshman Jha Parimal
छठ परब।
छठ परब।
Acharya Rama Nand Mandal
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
कवि रमेशराज
ज्ञानों का महा संगम
ज्ञानों का महा संगम
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"जान लो"
Dr. Kishan tandon kranti
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
Phool gufran
अनकहा
अनकहा
Madhu Shah
बह्र - 1222-1222-122 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन काफ़िया - आ रदीफ़ -है।
बह्र - 1222-1222-122 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन काफ़िया - आ रदीफ़ -है।
Neelam Sharma
दौड़ी जाती जिंदगी,
दौड़ी जाती जिंदगी,
sushil sarna
मन के सवालों का जवाब नही
मन के सवालों का जवाब नही
भरत कुमार सोलंकी
सोना बोलो है कहाँ, बोला मुझसे चोर।
सोना बोलो है कहाँ, बोला मुझसे चोर।
आर.एस. 'प्रीतम'
4383.*पूर्णिका*
4383.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
Aarti sirsat
*** मेरा पहरेदार......!!! ***
*** मेरा पहरेदार......!!! ***
VEDANTA PATEL
ग़म ज़दा लोगों से जाके मिलते हैं
ग़म ज़दा लोगों से जाके मिलते हैं
अंसार एटवी
फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही...!!
फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही...!!
Ravi Betulwala
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
इंतज़ार करने की लत
इंतज़ार करने की लत
Chitra Bisht
साया
साया
Harminder Kaur
अजीब मानसिक दौर है
अजीब मानसिक दौर है
पूर्वार्थ
हृदय की बेचैनी
हृदय की बेचैनी
Anamika Tiwari 'annpurna '
गम‌, दिया था उसका
गम‌, दिया था उसका
Aditya Prakash
बड़े पद का घमंड इतना ना करो,
बड़े पद का घमंड इतना ना करो,
Ajit Kumar "Karn"
Diploma in Urdu Language & Urdu course| Rekhtalearning
Diploma in Urdu Language & Urdu course| Rekhtalearning
Urdu Course
.
.
*प्रणय*
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*चंदा दल को दीजिए, काला धन साभार (व्यंग्य कुंडलिया)*
*चंदा दल को दीजिए, काला धन साभार (व्यंग्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
रोशनी का पेड़
रोशनी का पेड़
Kshma Urmila
सम्मान
सम्मान
Sunil Maheshwari
नहीं समझता पुत्र पिता माता की अपने पीर जमाना बदल गया है।
नहीं समझता पुत्र पिता माता की अपने पीर जमाना बदल गया है।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...