में इंसान हुँ इंसानियत की बात करता हूँ।
में इंसान हुँ इंसानियत की बात करता हूँ।
जाति धर्म व मत से उठ कर बात करता हूँ।
शोषण देख मानव का चुप नहीं रह सकता।
पीड़ा मे चीखता चिल्लाता हुआ बात करता हूँ।।
भूख से तड़पते तन के निवाले की बात करता हुँ।
खुली ठंड से ठीठुरते हुवे होठों की बात करता हूँ।
में सरकारों की नाकामी पर चुप नहीं रह सकता।
इसलिये चीखता चिल्लाता हुआ बात करता हूँ।।
बोतल बोटी मे बिकते वोटर की बात करता हूँ।
राजनीति मे लगी हुई दीमक की बात करता हूँ।
में हमारी भारत माता की पीड़ा सुनाता फिरता।
इसलिये चीखता चिल्लाता हुआ बात करता हूँ।।
हमारे टूटते परिवारों की बात करता हूँ।
अपने बिखरते रिश्तों की बात करता हूँ।
मिठते हुए संस्स्कृति को नहीं देख सकता
में चीखता चिल्लाता हुआ बात करता हूँ।।
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ 9829246588