‘मृत्यु’
मृत्यु अटल सत्य है । आप कहीं भी रहो वो ढूँढ ही निकालती है। हाँ उसका निमित अलग अलग होता है। वो हमें निमित में उलझा कर अपना काम कर जाती है।विधि हमारे कर्मो का पल-पल का लेखा जोखा रखती है।उसी के अनुसार हमें सुख-दुख बाँटा जाता है।और अंत में मृत्यु किसके द्वारा होगी और कैसी होगी ये निश्चित कर दिया जाता है।
आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार ही मृत्यु है।
ऊँ श्री नारायणाय नमः
-GN