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9 Jul 2020 · 1 min read

मृत्युलोक

गुनाहों की परछाईयों
से गुजर
वक्त की दहलीज पे
खड़ी है जिन्दगी ।

पश्चाताप की आग मे
झुलसता हर पल
शोलों की राख से
बेबस बना रहा है जिन्दगी ।

सहमी डरी है
सजा के खौफ से
अंगारों की आंच से
दहक रही है जिन्दगी ।

बचा नही कोई
खुदा के कानून से
मृत्युलोक की प्रथा से
वाकिफ है जिन्दगी ।।

राज विग 09.07.2020..

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 423 Views
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