मृत्युलोक
गुनाहों की परछाईयों
से गुजर
वक्त की दहलीज पे
खड़ी है जिन्दगी ।
पश्चाताप की आग मे
झुलसता हर पल
शोलों की राख से
बेबस बना रहा है जिन्दगी ।
सहमी डरी है
सजा के खौफ से
अंगारों की आंच से
दहक रही है जिन्दगी ।
बचा नही कोई
खुदा के कानून से
मृत्युलोक की प्रथा से
वाकिफ है जिन्दगी ।।
राज विग 09.07.2020..