मृतशेष
मृतशेष
या मर जाये या मारे चित्त,में कर के ये दृढ निश्चय,
शत्रु शिविर को जो चलता हो ,हार फले कि या हो जय।
समरअग्नि अति चंड प्रलय हो,सर्वनाश हीं रण में तय हो,
तरुण बुढ़ापा ,युवा हीं वय हो ,फिर भी मन से रहे अभय जो।
ऐसे युद्धक अरिसिंधु में , मिटकर भी सविशेष रहे।
जग में उनके अवशेष रहे ,शूर मृत होकर मृतशेष रहे।
अजय अमिताभ सुमन