Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

“अकेडमी वाला इश्क़”

मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
व्हाट्स ऐप, इंस्टाग्राम और फेसबुक में नहीं, खतों में इज़हार ए इश्क़ करना है,
पुरे हफ्ते के रगड़े के बाद मूझे शनिवार की उस शाम का इंतजार करना हैं और कॉल में तुम्हारी आवाज़ को फ़िर से सुनना है,
छुट्टियों का इंतज़ार करना है, ट्रैन में बैठ कर तुमसे मिलने की बेचैनी में फ़िर से बेचैन होना है,
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना है,
फॉल इन से शुरू और फॉल इन में ढलती हुई वो रातों में दोस्तों के साथ “अकॉमडेशन C” में बैठ तुम्हारा ज़िक्र करना है,
तुमसे झगड़ना है तुम रूठो तो एक बार और तुम्हें मनाना है, उन यादों को उन लम्हों को फ़िर से जीना है,
अक्सर तुम एक गीत गुन-गुनाती थी (अभी ना जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं) इस गीत को एक बार फ़िर तुमसे सुनना है,
“हाँ सिर्फ़ तुमसे ही”
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना है…!
“लोहित टम्टा”

1 Like · 115 Views

You may also like these posts

होली है !!!
होली है !!!
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
एक बार हीं
एक बार हीं
Shweta Soni
फितरत
फितरत
संजीवनी गुप्ता
गलत लोग, गलत परिस्थितियां,और गलत अनुभव होना भी ज़रूरी है
गलत लोग, गलत परिस्थितियां,और गलत अनुभव होना भी ज़रूरी है
शेखर सिंह
पिंड दान
पिंड दान
Shashi Mahajan
अरे धर्म पर हंसने वालों
अरे धर्म पर हंसने वालों
Anamika Tiwari 'annpurna '
किसी का कचरा किसी का खजाना होता है,
किसी का कचरा किसी का खजाना होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरे गुरु
मेरे गुरु
Santosh kumar Miri
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
Rj Anand Prajapati
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
सत्य कुमार प्रेमी
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
नादान पक्षी
नादान पक्षी
Neeraj Agarwal
अस्तित्व पर अपने अधिकार
अस्तित्व पर अपने अधिकार
Dr fauzia Naseem shad
सत्य वर्तमान में है और हम भविष्य में उलझे हुए हैं।
सत्य वर्तमान में है और हम भविष्य में उलझे हुए हैं।
Ravikesh Jha
ईश्क अतरंगी
ईश्क अतरंगी
Sonu sugandh
ई कइसन मिलन बा (बिदाई गीत)
ई कइसन मिलन बा (बिदाई गीत)
आकाश महेशपुरी
इस दीवाली
इस दीवाली
Shally Vij
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*गोल- गोल*
*गोल- गोल*
Dushyant Kumar
हर किसी का एक मुकाम होता है,
हर किसी का एक मुकाम होता है,
Buddha Prakash
- एक शख्स -
- एक शख्स -
bharat gehlot
"समझदार लोग किसी की ईंट के बदले पत्थर नहीं फेंकते। ईंटों को
*प्रणय*
माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी
माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी
Rekha Drolia
मजबूरी
मजबूरी
The_dk_poetry
दोनों मुकर जाएं
दोनों मुकर जाएं
अरशद रसूल बदायूंनी
*नव वर्ष पर सुबह पाँच बजे बधाई * *(हास्य कुंडलिया)*
*नव वर्ष पर सुबह पाँच बजे बधाई * *(हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
Khaimsingh Saini
आखिरी पन्ना
आखिरी पन्ना
Sudhir srivastava
Loading...