मुहब्बत में डूबी दुनियां
वो जो मुहब्बत का सौदाई है न, उसे ही तो मैं याद रखूंगी
डर बाटने वालों से मुझे क्या, अगले मोड़ पे भूल जाऊंगी !
मेरा भला उन से क्या वास्ता दिखाते हैं नफरतों को जो रास्ता
कभी उनकी गली से जो गुजरी मैं, तो खुद को ही बहुत डाटूगी
मुहब्बत में डूबे दुनियां के ख्वाब सजा रखे हैं आंखों में मैंने
पकड़ी गई जो उनकी गली मैं तो कफ़्स में आग लगा दूंगी
कफ़्स = पिंजड़ा
~ सिद्धार्थ