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14 Jan 2017 · 1 min read

मुहब्बत मेँ मजे कम

कोई मजबूर कहता है कोई जाहिल समझता है

मगर वो अपने भाई को सदा लक्ष्मण समझता है

मुहब्बत मेँ मजे कम और खतरे ढेर सारे हैँ

इसे बस तू समझती है या फिर सागर समझता है

Language: Hindi
229 Views
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