मुहब्बत भी मिल जाती
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मुहब्बत भी मिल जाती,
खुशियाँ भी खिल जाती,
दिया होता जो साथ अपना,
बगावत भी मिट जाती।
नशा तेरी मुहब्बत का,
आँखों में बसा रहता,
सजा मुझकों ना मिलती तुझसे,
वफा तेरी ना मिट जाती।
मुकद्दर में मिले जो थे,
वाह साथ हमारा तुम्हारा था,
सफऱ में हम सफर रूठा,
अधूरी मुहब्बत मिली मुझको।
इंतजार लिखा है नसीबो में,
नसीब मेरा अब तुम ही हो,
भूलू कहो ये तुम मझसे,
ये भूल मुझसे कैसे होगा।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर