मुहब्बत फूल होती है
मुहब्बत फूल होती है
मगर पत्थर बनाती है
मुहब्बत एक शबनम है
मगर शोला बनाती है
मुहब्बत रोशनी है
मगर राख करती है
मुहब्बत जिस्मो_ जां है
मगर ज़ख़्मी रूह करती है
मुहब्बत आन है लेकिन
अना पमाल करती है…..
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=मुहब्बतफिर मुहब्बत है
@दिलो की आस होती है
मुहब्ब तो मुहब्बत है
@दिलो पे राज करती है
मुहब्बत वो मुहब्बत है
ज़मीनों _आसमा में जिस की हुकुमत है
मुहब्बत ही मुहब्बत है
के जिस की हर इंसा को ज़ुरुरत है
मुहब्बत ही मुहब्बत हो तो
तो हर सू जन्नत ही जन्नत है………..शबीनाज