मुहब्बत देखिए
आप मेरे भले मत हुनर देखिए।
रात-दिन की मुहब्बत मगर देखिए।
हुश्ने मतला
मत इधर देखिए मत उधर देखिए।
आप तो बस हमे इक नज़र देखिए।
आ रही हिचकियाँ रोज़ क्यूँ आपको,
ये मुहब्बत का मेरी असर देखिए।
आदमी से यहाँ बेखबर आदमी ,
भीड़ से यों भरा ये नगर देखिए।
अब जुबा पर यकीं कुछ रहा ही नही,
झूठ सच बोलते ये अधर देखिए।
पात सब थे हरे .टूटते ही गए,
ठूँठ सा अब खड़ा ये शजर देखिए।
सामने से वो नज़रें बचा के गये,
यूँ क़यामत सा गुजरा पहर देखिए।
दम घुटा जा रहा शौहरत का यहाँ,
जह्र का क्या हुआ ये असर देखिए।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’शोहरत
स्वरचित
वाराणसी
23/3/2022