दुआएं करेंगी असर धीरे- धीरे
दुआएं करेगी असर धीरे- धीरे
मिलेगी खुशी की डगर धीरे- धीरे
चलो साथ मेरे कदम तुम मिलाकर
लगेगा हसीं ये सफ़र धीरे- धीरे
भले रात आई अमावस की काली
इसे लील लेगी सहर धीरे- धीरे
कटीली बहुत राह है ज़िन्दगी की
उठाना कदम सोच कर धीरे- धीरे
अभी आये परदेश में हो कमाने
नया घर बसेगा मगर धीरे- धीरे
न रफ़्तार को रोक देना अचानक
जहाँ भी ठहर बस ठहर धीरे- धीरे
उड़ाने भरो ‘अर्चना’ हौसलों से
निकल जायेगा सारा डर धीरे- धीरे
20-09-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद