मुस्तकबिल
आसमान पर बैठा हुआ वो ,
सबकी तकदीर बनाता बिगड़ता है ।
तुम्हारे मुस्तकबिल का जिम्मेवार मैं नहीं हूं ,
फिर वो ऐसा क्यों कहता है।
आसमान पर बैठा हुआ वो ,
सबकी तकदीर बनाता बिगड़ता है ।
तुम्हारे मुस्तकबिल का जिम्मेवार मैं नहीं हूं ,
फिर वो ऐसा क्यों कहता है।