* मुस्कुराना *
** गीतिका **
~~
है जरूरी जिन्दगी में मुस्कुराना।
हो सके तो अश्रु खुशियों के बहाना।
कष्ट का अवसाद का आता समय जब।
है कठिन तब आंसुओं को रोक पाना।
स्नेह से नजरें मिलाओ जब किसी से।
चूकने देना नहीं कोई निशाना।
भावना हो प्रेम की सबके लिए जब।
चाहते हैं सब हमारे पास आना।
मत बहाओ अश्क रूठा है अगर प्रिय।
बात हर कड़वी हमें है भूल जाना।
मन हमारा खिल उठा करता खुशी से।
जब कभी मिलता हमें साथी पुराना।
अलविदा कहना जरूरी आंसुओं को।
है हमें मधुमास का उत्सव मनाना।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २१/०२/२०२४