मुस्कान
जब भी मिलना तुम अपनों से,
मन के शुभ -सुंदर सपनों से,
प्रेरित होकर श्रेष्ठ जनों से,
मधुमय शब्द जुबान में ।
रहना नित मुस्कान में ।।
अंजानों को मीत बना दे,
दुश्मन से भी प्रीत करा दे,
तपित घाम को शीत बना दे,
चांद लगा दे शान में ।
ताकत है मुस्कान में ।।
रोग-शोक को करती दूर,
जब आते हैं थककर चूर,
राहत मिलती है भरपूर,
ऊर्जा भर दे प्राण में ।
मिले कोई मुस्कान में ।।
अपना लो इसको तुम दिल से,
रहो सदा सबसे हिल मिल के,
बंधु बनो संसार अखिल के ,
छा जाओ जहान में ।
विशेषता मुस्कान में ।।
– नवीन जोशी ‘नवल’