मुस्कराना
शीर्षक – मुस्कान
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एक तेरी यादों में होंठों पर मुस्कान आतीं हैं।
न हमें जिंदगी और जीवन जीने की चाहत हैं।
बस एक मुस्कान जो दुनिया के लिए रखते हैं।
मुस्कान हम जबरदस्ती अपने लवों पर रखते हैं।
समाज और समाजिक सोच हम पहचानते हैं।
बस अपने होंठों पर मुस्कान बस हम रखते हैं।
यादों में खोए तेरी जो हम मुस्कान देते हैं।
तेरी सूरत और हम जीवन के समय को सोचते हैं।
मुस्कान और मुस्कुराना ही अब हमारी आदत है।
वरना जीवन में हमारा जीना मुश्किल हो जाता हैं।
हां सच तो मुस्कान ही तेरी यादों में जीवन जीते हैं।
न आरज़ू हम जिंदगी में अब कुछ सोचते हैं।
बस मुस्कान के साथ आज भी तेरी यादों में जीते हैंं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र