मुसीबतों में ये जीवन दिखाई देता है
ग़ज़ल
मुसीबतों में ये जीवन दिखाई देता है।
ये रहनुमा मुझे रहजन दिखाई देता है।।
*रहनुमा=नेता, पथ प्रदर्शक। रहजन=लुटरा, डाकू।
न जाने क्यों तुम्हें सज्जन दिखाई देता है।
ये साधु भेष में रावन दिखाई देता है।।
कहां किसी को ये निर्धन दिखाई देता है।
हर एक शख़्स को बस धन दिखाई देता है।।
ये कैसा वह्म-ओ-गुमां पाल रक्खा है तूने।
हर आदमी तुझे दुश्मन दिखाई देता है।।
छुपा हुआ है तेरे दिल में नाग नफ़रत का।
कभी कभार मुझे फन दिखाई देता है।।
हुआ है अंधा वो सावन में इसलिए अब तक।
हरा-भरा उसे उपवन दिखाई देता है।।
बदन से आके लिपट जाते हैं भुजंग कई।
जो कोई भी इन्हें चंदन दिखाई देता है।।
जदीद दौर है फैशन के नाम पर अब तो।
लिबास ऐसा कि ये तन दिखाई देता है।।
*जदीद=आधुनिक
“अनीस” ऐब छुपाऊं में अपने कैसे अब।
हर एक हाथ में दरपन दिखाई देता है।।
– अनीस शाह “अनीस”