Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 1 min read

मुर्दों के जज़्बात

मुर्दों के जज़्बात नहीं होते,
उनके अपने तो होते हैं मगर पास नहीं होते,
दिख जाते कहीं / कभी अपने,
तो आज हम यहां श्मशान में नहीं होते…..

सुकून में हो इस जालिम दुनिया से दूर,
देखता हूं तो यहां से, कोई किसी का नहीं,
बस सब अपनी जरूरतों के लिए जुड़े हैं,
वरना , यहां राख करने वाले भी न जुड़ते,

आज वह दौर कहां,

कभी भाई-भाई के लिए मरता था ,
आज भाई भाई को मारता है…..

उमेंद्र कुमार

Language: Hindi
1 Like · 67 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"प्यासा"प्यासा ही चला, मिटा न मन का प्यास ।
Vijay kumar Pandey
3053.*पूर्णिका*
3053.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माँ
माँ
The_dk_poetry
दोस्ती
दोस्ती
Neeraj Agarwal
राजस्थानी भाषा में
राजस्थानी भाषा में
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
एक अणु में इतनी ऊर्जा
एक अणु में इतनी ऊर्जा
AJAY AMITABH SUMAN
बचपन और पचपन
बचपन और पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
“पतंग की डोर”
“पतंग की डोर”
DrLakshman Jha Parimal
नेम प्रेम का कर ले बंधु
नेम प्रेम का कर ले बंधु
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*संस्मरण*
*संस्मरण*
Ravi Prakash
वेलेंटाइन एक ऐसा दिन है जिसका सबके ऊपर एक सकारात्मक प्रभाव प
वेलेंटाइन एक ऐसा दिन है जिसका सबके ऊपर एक सकारात्मक प्रभाव प
Rj Anand Prajapati
मैं अगर आग में चूल्हे की यूँ जल सकती हूँ
मैं अगर आग में चूल्हे की यूँ जल सकती हूँ
Shweta Soni
"परिवर्तन के कारक"
Dr. Kishan tandon kranti
दिल ये तो जानता हैं गुनाहगार कौन हैं,
दिल ये तो जानता हैं गुनाहगार कौन हैं,
Vishal babu (vishu)
पितृ दिवस पर....
पितृ दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
खुदा जाने
खुदा जाने
Dr.Priya Soni Khare
आप जितने सकारात्मक सोचेंगे,
आप जितने सकारात्मक सोचेंगे,
Sidhartha Mishra
उदघोष
उदघोष
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग्य)
गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग्य)
दुष्यन्त 'बाबा'
शिव  से   ही   है  सृष्टि
शिव से ही है सृष्टि
Paras Nath Jha
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
आनंद प्रवीण
खंड 7
खंड 7
Rambali Mishra
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
Neelam Sharma
बैठ गए
बैठ गए
विजय कुमार नामदेव
प्यास
प्यास
sushil sarna
प्रेम पल्लवन
प्रेम पल्लवन
Er.Navaneet R Shandily
*तुम और  मै धूप - छाँव  जैसे*
*तुम और मै धूप - छाँव जैसे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
■ कटाक्ष...
■ कटाक्ष...
*Author प्रणय प्रभात*
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
gurudeenverma198
Loading...