मुम्बई का मौसम
ये फ़िल्म सिटी मुम्बई है
यहॉं कुछ रिश्तों के संवाद
मौन की चादर ओढ़े
दिख जाते हैं,
पुराने इश्क का इत्र
नई शीशियों में भरकर
धड़ल्ले से बिक जाते हैं।
दिल्ली की दिल्लगी
यहॉं काम नहीं आती है,
सुकून के दिन औ’ रातें
नीलम हो जाती है।
किसी एक्वेरियम की
रंगीन मछलियों की तरह
अकेलापन तैरता है,
दिल थाम के रहना दोस्तों
मुम्बई का मौसम
अवसाद बिखेरता है।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
(भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति)