मुबारक़ हो मुझकों वो शब
मुबारक़ हो मुझकों वो शब
जब ख्वाबों में तुम पैगाम लेकर आई थी
हाथ थाम लिया किसी और का
बस मुझे अगाह कराने आई थी
मैंने भी बुन लिए थे,ख़्वाब
तुम्हारे संग कुछ क्षण बिताने के
कुतर दिए वो तुमनें
बस एक बात बताने में
तुम्हारे इस फ़ैसले ने
तक़दीर बदल दी थी
अब तुम रानी थी किसी और कि
ये बात मैंने भी समझ ली थी
मेरे जैसा न कोई तेरा दीवाना था
तू बहता नीर मैं उसका परवाना था
तुझे बस इतना बताना था
तू जैसे गुज़रा अफ़साना था
भूपेंद्र रावत
9।04।2020