मुबारक हो – बारिश
मुबारक हो – बारिश
यूँ तेरा बरसना
है मेरे सनम को, थोड़ा संवरना
वो आती ही होगी, तेरी पनाह में
सिखा देना उसको, मोहब्बत गुनाह है
कहना ये लड़का पागल बड़ा है
जो अब तक तुम्हीं पे, बस तुझपे फ़ना है
दिखावा है इसका, जो रोता है छुपके
हकीकत तो मैं हूँ, जो बरसी हूँ तुझ पे
तू बूंदो से मेरी, अब खुद को भिगा ले
और आँखों में आँसू, तू फिर से छुपा ले
बता दे जरा, जो है तेरी कहानी
क्यूँ किस्मत में तेरी, लिखा था बिखरना
मैं बरसी हूँ तुझपे, कि उसने कहा था
मुबारक हो बारिश, यूँ तेरा बरसना
सनम की कलम से –
अब तुम हो आई, आशिक के घर से
तो इतना सा कहना मेरी तरफ से
मैं जिन्दा हूँ लेकिन, कहाँ जिंदगी है
मेरी जान तुझमे, बस तुझमे बसी है
तू आँखों से अपनी ना आँसू बहाना
अभी तक तो जिन्दा, यहाँ मैं हूँ ‘माना’
बस इतनी ख़बर तू उन्हें जाके देना
अब इक पल नहीं है, उनसे बिछड़ना
मुबारक हो – बारिश
यूँ तेरा बरसना
… भंडारी लोकेश ✍️