Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jan 2024 · 1 min read

मुनव्वर राना

हुस्न, जुल्फों और कोठों से ग़ज़ल को घसीटकर माँ तक लाने का श्रेय जिस शख्स को है, उसका नाम ही “मुनव्वर राना” है। उन्होंने ग़ज़ल में इश्क की जगह रिश्तों को बोया। तभी तो उन्होंने लिखा :
किसी को घर मिला हिस्से में
या कोई दुकां आई,
मैं घर में सबसे छोटा था
मेरे हिस्से में माँ आई।

कुछ लोगों ने कहा कि ग़ज़ल महबूबा के लिए होती है। तब उन्होंने कहा था- क्यों… माँ महबूबा नहीं हो सकती? आज समाज में रिश्ते दरक रहे हैं। अगर मेरी गज़लों से देश का दस फीसदी युवा भी अपने माता-पिता से मोहब्बत करने लगे , तो समझूंगा कि मेरा लिखना सफल हो गया।
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं
फिर से फरिश्ता हो जाऊँ,
माँ से इस कदर लिपट जाऊँ
कि बच्चा हो जाऊँ।

गत 14 जनवरी 2024 को इस महान शायर का निधन हो गया। मुनव्वर राना साहब को शत शत नमन्,,, विनम्र श्रद्धांजलि,,,,💐

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हरफनमौला साहित्य लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त।

Language: Hindi
Tag: लेख
10 Likes · 7 Comments · 132 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

जबसे हम चार पैसे कमाने लगे हैं
जबसे हम चार पैसे कमाने लगे हैं
नूरफातिमा खातून नूरी
काश तेरी निगाह में
काश तेरी निगाह में
Lekh Raj Chauhan
लोगों के रिश्तों में अक्सर
लोगों के रिश्तों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है
Jogendar singh
एहसास - ए - दोस्ती
एहसास - ए - दोस्ती
Shyam Sundar Subramanian
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
Shashi kala vyas
मेरी बगल में उनका महान हो गया
मेरी बगल में उनका महान हो गया
RAMESH SHARMA
अपनी मानहानि को पैसे में तौलते महान!
अपनी मानहानि को पैसे में तौलते महान!
Dr MusafiR BaithA
रंजिशें
रंजिशें
AJAY AMITABH SUMAN
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ग़ज़ल होती है।
ग़ज़ल होती है।
दीपक झा रुद्रा
जीवन शैली का स्वस्थ्य पर प्रभाव
जीवन शैली का स्वस्थ्य पर प्रभाव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वो बेजुबान कितने काम आया
वो बेजुबान कितने काम आया
Deepika Kishori
"दुनियादारी"
ओसमणी साहू 'ओश'
3256.*पूर्णिका*
3256.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सुंदर लाल इंटर कॉलेज में प्रथम काव्य गोष्ठी - कार्यशाला*
सुंदर लाल इंटर कॉलेज में प्रथम काव्य गोष्ठी - कार्यशाला*
Ravi Prakash
उलझन
उलझन
Khajan Singh Nain
नज़रें
नज़रें
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
कवि रमेशराज
जुदाई
जुदाई
Dipak Kumar "Girja"
" चिराग "
Dr. Kishan tandon kranti
मचलते  है  जब   दिल  फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
मचलते है जब दिल फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
डी. के. निवातिया
प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
पूर्वार्थ
कभी पत्नी, कभी बहू
कभी पत्नी, कभी बहू
अनिल "आदर्श"
मैं बन जाऊँ निगाह तुम्हारी
मैं बन जाऊँ निगाह तुम्हारी
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
डॉ. दीपक बवेजा
चीत्रोड़ बुला संकरी, आप चरण री ओट।
चीत्रोड़ बुला संकरी, आप चरण री ओट।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
पुष्प
पुष्प
Dhirendra Singh
Be A Spritual Human
Be A Spritual Human
Buddha Prakash
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
Loading...