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3 Mar 2024 · 1 min read

मुट्ठी में बन्द रेत की तरह

मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
वक्त तो फिसल गया,
बस देखते ही देखते
सब कुछ बदल गया,
जो वक्त गुजर गया
वो लौट कर न आएगा,
जीवन था चार दिन का
वो भी ढल गया।

3 Likes · 3 Comments · 206 Views
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