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27 Apr 2023 · 1 min read

मुझ को अब स्वीकार नहीं

जाने क्यों तुम रूठे हो मुझसे
ऐसा तो पहली बार नहीं।
बात बात पर  तेरा चिल्लाना
मुझ को अब स्वीकार नहीं।।
बोल सकती हूं मैं भी ऊंचा
क्या मेरे पास ज़ुबान नहीं।
फिर मुझसे तू मत कहना
करती तू सम्मान नहीं।।
झुकती हूं तो ,संस्कार है मेरे
मैं भी उठा सकती हूं ‌हाथ।
बच्चों के कारण ,मैं बंधी हूं
छोड़ सकती हूं पर में साथ।।
कितना नीचे तुम गिरोगे
मुझ को नीचे गिराने के लिए।
कितनी रखोगे अग्नि परीक्षा
मुझे‌ तुम आजमाने के लिए।।
चौखट जिस दिन पार कर ली
ढूंढोगे दिन रैन मुझे।
बंधन काट, जो उड मैं गयी
आयेगी न फिर‌ चैन तुझे।
सुरिंदर कौर 

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 311 Views
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