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19 Oct 2020 · 1 min read

— मुझ को अच्छा लगता है —

यह सत्य है, कि मैं लेखनी में नादान हूँ
हिंदी को लिखने में पूरा अनजान हूँ
चल पड़ती है कलम व्याकुल होकर
शायद यह लिखा मुझे अच्छा लगता है

जानता हूँ कि आप सब मुझसे कहीं
ज्यादा लिखने में माहिर हो
पर मेरे भाव निकल कर चल देते हैं
जैसे जिन्दगी का सच सब के साथ हो

न किसी पारितोषिक की चिंता
न ही मुझे को कहीं आगे जाना
आप की नजर पड़ गयी गर मुझ पर
यही है मेरी ख़ुशी का ठिकाना

धन्यवाद् आप सब का मेरे दोनों
कर जोड़ हर देते है आप सब को
निवेदन है मित्रो आ जाया करो
कभी कभी यूं ही मिलने को

शुक्रिया आप सब का

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
198 Views
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