Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2021 · 1 min read

मुझे हिंदी के लिंगों से बचाइए

अगर एक विचार माने तो लिंग अच्छी चीज नहीं है या तो यह जनसंख्या बढ़ाती है या मुआ ‘डाउन फ्लोर’ में रहकर भी ‘जबरिया संबंध’ के बारे में ही सोचता है ! जो कि खतरनाक स्थिति है। हिंदी भाषा को ही लीजिए, कामता प्रसाद गुरु से अबतक के सभी वरेण्य व्याकरणाचार्यों ने हिंदी के ‘लिंग’ निर्धारण के लिए जो नियम तय किये हैं, वह एक या दो नहीं, कई हैं, जिसे किसी भी दृष्टिकोण से रटा नहीं जा सकता ! सबसे बड़ी दिक्कत तब पेश आती है, जब सभी नियमों के साथ ‘अपवाद’ आकर माथा-पच्ची करने लग जाते हैं ! इसके बावजूद हिंदी में शब्दों के लिंग निर्धारण का कोई एक या सटीक नियम नहीं है।

एक नियम कहता है कि नारीसुलभ चेष्टाएँ स्त्रीलिंग होंगी, तो पुरुषोचित गुण या चेष्टाएँ पुल्लिंग। जैसे:- अंगड़ाई, हंसी, मुस्कान, लज्जा इत्यादि स्त्रीलिंग शब्द हैं, जबकि साहस, क्रोध, ठहाका इत्यादि पुल्लिंग हैं, लेकिन फिर ‘क्रूरता’, ‘निर्दयता’ शब्द स्त्रीलिंग क्यों हैं ? इतना ही नहीं, ‘पुलिस’ और ‘मूंछ’ भी स्त्रीलिंग हैं ! अतएव, बेहतर यही है कि सतर्क रहकर अभ्यास किया जाय ! एक आम फ़हम नियमित अभ्यास नहीं कर पाएंगे, फिर तो केंद्रीय हिंदी संस्थान, जेएनयू और साहित्य अकादेमी को इसपर निश्चितश: चिंतन और विमर्श करने ही चाहिए, जिसके लिए वे समय और रुपये बर्बाद करते आये हैं !

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 4 Comments · 524 Views

You may also like these posts

*सूने घर में बूढ़े-बुढ़िया, खिसियाकर रह जाते हैं (हिंदी गजल/
*सूने घर में बूढ़े-बुढ़िया, खिसियाकर रह जाते हैं (हिंदी गजल/
Ravi Prakash
3992.💐 *पूर्णिका* 💐
3992.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
.
.
*प्रणय*
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
एक कुण्डलियां छंद-
एक कुण्डलियां छंद-
Vijay kumar Pandey
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
कविता तुम से
कविता तुम से
Awadhesh Singh
" जब "
Dr. Kishan tandon kranti
उलझा रिश्ता
उलझा रिश्ता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
गुरु अंगद देव
गुरु अंगद देव
कवि रमेशराज
कोई भी व्यक्ति अपने आप में परिपूर्ण नहीं है,
कोई भी व्यक्ति अपने आप में परिपूर्ण नहीं है,
Ajit Kumar "Karn"
हिस्सा,,,,
हिस्सा,,,,
Happy sunshine Soni
जो दिल में उभरती है उसे, हम कागजों में उतार देते हैं !
जो दिल में उभरती है उसे, हम कागजों में उतार देते हैं !
DrLakshman Jha Parimal
हमारे बुजुर्ग
हमारे बुजुर्ग
Indu Singh
सहधर्मिणी
सहधर्मिणी
Bodhisatva kastooriya
मानव  इनको हम कहें,
मानव इनको हम कहें,
sushil sarna
नफ़्स
नफ़्स
निकेश कुमार ठाकुर
दूर है जाना...
दूर है जाना...
Shveta Patel
आप अभी बाहर जी रहे हैं, असली हीरा अंदर है ना की बाहर, बाहर त
आप अभी बाहर जी रहे हैं, असली हीरा अंदर है ना की बाहर, बाहर त
Ravikesh Jha
समंदर की बांहों में नदियां अपना वजूद खो,
समंदर की बांहों में नदियां अपना वजूद खो,
पं अंजू पांडेय अश्रु
* जिन्दगी *
* जिन्दगी *
surenderpal vaidya
एक चाय तो पी जाओ
एक चाय तो पी जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हर मोड़ पे उन का हमारा सामना होने लगा - संदीप ठाकुर
हर मोड़ पे उन का हमारा सामना होने लगा - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
जीवन का सत्य
जीवन का सत्य
Ruchi Sharma
धरोहर
धरोहर
Karuna Bhalla
मै (अहम) का ‘मै’ (परब्रह्म्) से साक्षात्कार
मै (अहम) का ‘मै’ (परब्रह्म्) से साक्षात्कार
Roopali Sharma
प्रेम-गीत
प्रेम-गीत
Shekhar Chandra Mitra
जब आपके आस पास सच बोलने वाले न बचे हों, तो समझिए आस पास जो भ
जब आपके आस पास सच बोलने वाले न बचे हों, तो समझिए आस पास जो भ
Sanjay ' शून्य'
प्रेम
प्रेम
Pushpa Tiwari
हर एक  खैरियत पूछने वाला...
हर एक खैरियत पूछने वाला...
पूर्वार्थ
Loading...