मुझे वक्त दे इतना (मुक्तक)
मुझे वक्त दे इतना
यूँ तो जीने की तमन्ना बहुत हैं मेरे दिल में
मगर निभाने भी कुछ वादे हैं
ये मेरे दोस्त मौत भी तो सच है
न जाने उसके क्या इरादे हैं
कब हमें अपने आगोश में ले लें
हम सब उसके शहजा़दे हैं।
मैं अपने जीने की तमन्ना तो छोड़ सकता हूँ
मगर किये वादे नहीं तोड़ सकता
ये मेरे खुदा मुझे वक्त दे इतना
सारे वादे निभाने में समय लगे जितना।
रामप्रसाद लिल्हारे “मीना “