मुझे भाता है
मुझे भाता है
तेरा श्रंगार विहीन
नैसर्गिक आभा से दीप्त
मुस्कुराता हुआ चेहरा
श्रंगार से युक्तसौंदर्य
मुझ में
आकर्षण तो उत्पन्न करता है
प्रेम नहीं
हिमांशु Kulshrestha
मुझे भाता है
तेरा श्रंगार विहीन
नैसर्गिक आभा से दीप्त
मुस्कुराता हुआ चेहरा
श्रंगार से युक्तसौंदर्य
मुझ में
आकर्षण तो उत्पन्न करता है
प्रेम नहीं
हिमांशु Kulshrestha