मुझे फर्क पड़ता है।
तेरे हँसने से ,तेरे रोने से,
तुम्हारे निराश होने से,
तुम्हारे खामोश होने से।
मुझे फर्क पड़ता है !!
तेरे करीब आने से,
तुझ से दूर जाने से,
तुझ से बिछड़ जाने से,
मुझे फर्क पड़ता है !!
तेरा मुझे देखने से,
तेरा मुझे सताने से,
तेरा मुझे छुने से,
मुझे फर्क पड़ता है !!
तुझ संग समय बिताने से,
तुझ बिन तन्हा हो जाने से,
तेरा किसी और के होने से,
मुझे फर्क पड़ता है !!
तुझे याद करने से,
तेरी राह देखने से,
तेरे ख्यालों में खोने से।
मुझे फर्क पड़ता है!!
लक्ष्मी वर्मा, ‘प्रतीक्षा’
खरियार रोड, ओड़िशा।