मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
मेरे यार को मोहब्बत है उसकी आंखो से नज़र आता हैं ।।
ज़माने का नशा नहीं अब मुझेपे उसका फितूर चढ़ा है,
मैं संभलकर चल रहा हूं उसे इश्क आजमाना आता है।।
मैं छुपाए फिरता हूँ अपनी मोहब्ब्त के किस्से,
और उसकी मोहब्बत का यहाँ घर घर अख़बार आता है।।