मुझे ख़्वाब क्यों खलने लगे,
मुझे ख़्वाब क्यों खलने लगे,
नींद में हैं ख़लल करने लगे ।
वही बात जो बताना नहीं चाहता ,
उसी की तरफ़दारी नयन करने लगे ।
जो छिपाया बहुत ज़माने से था ,
उसकी चुग़ली ये करने लगे ।।
डा राजीव “सागरी”
मुझे ख़्वाब क्यों खलने लगे,
नींद में हैं ख़लल करने लगे ।
वही बात जो बताना नहीं चाहता ,
उसी की तरफ़दारी नयन करने लगे ।
जो छिपाया बहुत ज़माने से था ,
उसकी चुग़ली ये करने लगे ।।
डा राजीव “सागरी”