मुझको मेरे गांव से है बेहद लगाव।
मुझको मेरे गांव से है बेहद लगाव
हर गांव से प्यारा लगे,मुझको मेरा गांव।
करेली गाडरवाड़ा रोड, नारगी तिराहे के पास
कल्याणपुर की ओर माल्हनवाड़ा गांव खास।
इस गांव की पहचान,शिव मंदिर से है भाई
मंदिर से कुछ दूर,मिले ताल और तलाई।
तालाब के पास माता की मढिया और स्कूल
मिला जहां ज्ञान हमें,हम धूल से बने फूल।
स्कूल से सीधे रास्ते, पहुंचोगे चावड़ी
जहां रामधुन की परम्परा की जुड़ी है कड़ी।
यहीं पर था एक ,बहुत पुराना कुंआ
मीठा पानी जिसका आज दे रहा दुआ।
दूल्हा देव बिराजे खेत में पीपल तले
विवाह निर्विघ्न निभाते,ये देव है भले।
इसी ओर बढ़े चलो,खेरापति के तुम द्वार
कृपा से जिनकी चल रहा, सबका ही घरद्वार।
गांव के दक्षिण छोर पर,विराजे है श्रीराम
अखंड ज्योति जल रही,महाराज जी के धाम।
गांव में होती प्रभातफेरी, भाइयों हरदिन
नवमी में अखंड रामायण चलती नवदिन।
ऐसे सुंदर गांव पर रहे,प्रभु का सदा स्नेह
गांव मिले यही गर,मिले पुनः यह देह।
रामनारायण कौरव