मुझको क्यो तड़पाती हो
तुम मेरे सपनो मे आकर,
मुझको क्यो तड़पाती हो|
हसती हंसती पास आकर,
मुझको बहुत सताती हो||
गालो को सहलाती मेरे,
मुझको दिल से लगाती हो|
कभी कभी मुस्काती यारा,
कभी कभी इठलाती हो||
सपने मे जुल्फे फैलाकर,
गोद मे मुझे सुलाती हो|
कृष्णा तेरे प्यार मे पागल,
उसको को क्यो ठुकराती हो||
कृष्णकांत गुर्जर