मुझको इंतजार है उसका
मुझको इंतजार है उसका,
उस दोस्त का जो रूठा है मुझसे,
इसलिए कि मैं उसको चाहता हूँ ,
और वह जरूर आयेगा एक दिन।
अभी यह मौसम अच्छा नहीं है,
अभी हवा में बहार नहीं है,
राह देख रही है फिजा भी,
कि कब ये फूल मुस्करायेंगे ?
मुझको इंतजार है उसका,
उस रोशनी का, जो अभी गुल है,
उस शमां का, जो कभी रोशन थी,
मेरे करीब, मेरी महफ़िल में।
ना अब वह गुंजन है नगमों की,
ना अब सुनाई देती है वह कलरव,
पक्षियों की मेरे चमन में,
बेरंगी है अब ये दरख़्त।
पतझड़ चारों तरफ है,
क्योंकि मैं अकेला हूँ ,
मैं कुछ नहीं कर सकता,
मुझको इंतजार है उसका।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)