मुझको आँखों में बसाने वाले
मुझको आँखों में बसाने वाले
हो गए कैसे ज़माने वाले
अपने चेहरे से डरते हैं क्यूँ
मुझको आईना दिखाने वाले
रूठता था तो बाँहों में समां लेते थे
कहाँ गए अब मुझको मनाने वाले
मेरी यादों में जलते हैं अब
मेरी यादों को जलाने वाले
नींद अब कैसे आएगी ये बता
सो गए मुझको सुलाने वाले
आंख भर भर के देखते थे जिसे
नहीं अब ख्वाब में भी आने वाले
तुझे इंतज़ार करना है तो कर
लौट के आते हैं क्या कभी जाने वाले
From my Book
Khali Khali sa jahan