मुझको अच्छी लगी जिंदगी
एक लंबे अंतराल के बाद, सभी सुधि साहित्य प्रेमियों के समक्ष सादर संप्रेषित है एक रचना 🙏🌹🙏
१७/९/२३
#जिंदगी #
सुख से दुख से भरी जिंदगी।
झपकी भर नहिं रुकी जिंदगी।
कभी चढी उत्तुंग शिखर पर,
औंधें मुंह फिर गिरी जिंदगी ।
डगमग करती रही नाव सी,
समय चाल से चली जिंदगी।
कभी छांव में कभी घाम में,
विपदाओं से घिरी जिंदगी।
जब भी सोचा सुलझ गई ये,
उलझी-उलझी रही जिंदगी।
खुद उलझी उलझन में निश दिन
लगी बहुत ही भली ज़िन्दगी।
कहूॅ न कैसे अटल बताओ,
मुझको अच्छी लगी जिंदगी।
🙏अटल मुरादाबादी 🙏
९६५०२९११०८