मुख्तशर सी जिंदगी है।
मुख्तशर सी जिंदगी है अब हम यहां किसको क्या कहें।
ख्वाहिशों की खातिर जानें हम कितने गुनाह कर गए।।
जानिबे मंजिल पहुंचते कैसे जब हम सफर में ही न थे।
महज़ था वो एक काफिला जिस में हम सफर कर गए।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ
मुख्तशर सी जिंदगी है अब हम यहां किसको क्या कहें।
ख्वाहिशों की खातिर जानें हम कितने गुनाह कर गए।।
जानिबे मंजिल पहुंचते कैसे जब हम सफर में ही न थे।
महज़ था वो एक काफिला जिस में हम सफर कर गए।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ