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28 Jun 2022 · 1 min read

मुखौटा

आजकल मुखौटा लगाकर शहर में
कुछ लोग अपनेपन का ढोंग रच रहे है।

लगा चिंगारी अपनो के बीच
अपनी रोटियाँ वे सेंक रहे है।

इतने वर्षो से जो भाई-भाई बनकर रह रहे थे
दुख-सुख में जो एक-दुसरे का साथ निभा रहे थे।

नफरत के बीज बो कर कुछ लोग
एक-दूसरे के मन में वैर फैला रहे है

आज कुछ लोग मजहब और धर्म के नाम पर
हमारे शहर को बाँट रहे है।

लगाकर एक-दूसरे के घरो मे आग वें
अपने घर को वें रोशन कर रहे है

इन्हें न मतलब है किसी भी
जाति ,धर्म ,मजहब से
सिर्फ खबरों में आने के लिए उछल रहे है।

मासूम जनता को सीढी बनाकर
यें सता के गलियारे तक पहुँच रहे है

राजनीति में अपना नाम चमकाने के लिए
न जाने ये किस हद तक गिर रहे है।

~अनामिका

5 Likes · 6 Comments · 485 Views
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