मुखिया की है शुरू लड़ाई
भाई ऐसा समय है आया,
हाथ जोड़कर शीश झुकाया।
ज्यों ही मैं बोला नमस्ते,
झट चच्चा मुँह खोले हँसते।
बोल उठे तुम करो लड़ाई,
तुम सा ना कोई दूजा भाई।
आज नहीं तो कल बनोगे,
हर मुश्किल का हल बनोगे।
मैं तो हुआ यूं हक्का-बक्का,
जाने कैसे लगा यूं धक्का।
बात अभी कुछ समझ न पाया,
फिर चच्चा ने मुझे बताया।
देखो घुरहू कल आया था,
घण्टों मुझको बहलाया था।
रखा है यह क्वाटर देखो,
इससे ही कुछ बाबू सीखो।
अब तो तुम भी कमा रहे हो,
फिर काँहे यूं लजा रहे हो?
बस तुम हमको समझो अपना,
होगा पूरा जल्दी सपना।
खाली हाथ न करो नमस्ते,
लोग नहीं हैं इतने सस्ते।
दौड़ रहे हैं देखो सारे,
दूर किया है उन्हें किनारे।
फिर कानों में चच्चा बोले,
मन के दरवाजे को खोले।
है गठरी सौ वोटों वाली,
हाँ बोलो तो बजे ये ताली।
बात समझ अब मेरे आई,
मुखिया की है शुरू लड़ाई।
जो कोई भी मिले यूं रस्ते,
“जटा” करो ना उसे नमस्ते।
जटाशंकर”जटा”
११-०१-२०२१