मुक्ति मिली सारंग से,
मुक्ति मिली सारंग से,
रावण पाया चैन
धन्य हुआ श्रीराम मैं,
तृप्त हुए हैं नैन
– महावीर उत्तरांचली
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*प्रभु श्री राम जी के धनुष सारंग से निकले तीर से जब रावण का अंत हुआ तो मृत्यु से पूर्व वह बोला, ”अंत समय में आपके दर्शन पाकर मैं धन्य हूँ। हृदय असीम शांति से भर गया है। नैन तृप्त हो गये हैं। कुछ भी पाने की लालसा अथवा मनोकामना अब शेष नहीं है।”