मुक्तक
जब कभी इस दौर का इतिहास लिखा जायगा
बग़लगीर नीरो का ही तुझको समझा जाएगा,
जल रहा था देश मेरा धर्म के उन्वान पर,
तू बैठ मजे में जुमले कि बारिश कर रहा था !
तरे इस बदकारी को हरगिज न भूलाया जाएगा
(सिद्धार्थ)
जब कभी इस दौर का इतिहास लिखा जायगा
बग़लगीर नीरो का ही तुझको समझा जाएगा,
जल रहा था देश मेरा धर्म के उन्वान पर,
तू बैठ मजे में जुमले कि बारिश कर रहा था !
तरे इस बदकारी को हरगिज न भूलाया जाएगा
(सिद्धार्थ)