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31 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

इस मुल्क में कारीगरी ढोता हुआ बचपन,
लिये फिरता है साँसों में सियाही कारखा़नों की,
तू जिस इंसाफ़ की देवी के आगे गिड़गिड़ाता है,
वो तुझको न्याय क्या देगी, न आँखों की, न कानों की?

Language: Hindi
164 Views
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