Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

“ अब भी रोज कहर के बादल फटते हैं झोपड़ियों पर,
कोई संसद बहस नहीं करती भूखी अंतड़ियों पर,
अब भी महलों के पहरे हैं पगडण्डी की साँसों पर,
शोकसभाएं कहाँ हुई हैं मजदूरों की लाशों पर “

Language: Hindi
200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
Rekha khichi
लोग कहते रहे
लोग कहते रहे
VINOD CHAUHAN
अन्तर मन में उबल रही  है, हर गली गली की ज्वाला ,
अन्तर मन में उबल रही है, हर गली गली की ज्वाला ,
Neelofar Khan
सत्य से सबका परिचय कराएं, आओ कुछ ऐसा करें
सत्य से सबका परिचय कराएं, आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कहो कैसे वहाँ हो तुम
कहो कैसे वहाँ हो तुम
gurudeenverma198
सज गई अयोध्या
सज गई अयोध्या
Kumud Srivastava
58....
58....
sushil yadav
अगर कोई लक्ष्य पाना चाहते हो तो
अगर कोई लक्ष्य पाना चाहते हो तो
Sonam Puneet Dubey
3159.*पूर्णिका*
3159.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*मैं और मेरी चाय*
*मैं और मेरी चाय*
sudhir kumar
* जगेगा नहीं *
* जगेगा नहीं *
surenderpal vaidya
Live life in moments, not in days or years or your schedules
Live life in moments, not in days or years or your schedules
पूर्वार्थ
अब इन सियासी बेवक़ूफों को कौन समझाए कि
अब इन सियासी बेवक़ूफों को कौन समझाए कि "कुश्ती" और "नूरा-कुश्
*प्रणय प्रभात*
शीर्षक:कोई चिट्ठी लिख देते
शीर्षक:कोई चिट्ठी लिख देते
Harminder Kaur
आँगन पट गए (गीतिका )
आँगन पट गए (गीतिका )
Ravi Prakash
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" निशान "
Dr. Kishan tandon kranti
आप लगाया न करो अपने होंठो पर लिपिस्टिक।
आप लगाया न करो अपने होंठो पर लिपिस्टिक।
Rj Anand Prajapati
मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गरीबी मैं खानदानी हूँ
गरीबी मैं खानदानी हूँ
Neeraj Mishra " नीर "
"" *श्रीमद्भगवद्गीता* ""
सुनीलानंद महंत
क्षितिज पार है मंजिल
क्षितिज पार है मंजिल
Atul "Krishn"
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
क्या लिखूँ
क्या लिखूँ
Dr. Rajeev Jain
आजादी का जश्न मनायें
आजादी का जश्न मनायें
Pratibha Pandey
*
*"आज फिर जरूरत है तेरी"*
Shashi kala vyas
यारो ऐसी माॅं होती है, यारो वो ही माॅं होती है।
यारो ऐसी माॅं होती है, यारो वो ही माॅं होती है।
सत्य कुमार प्रेमी
आज का इन्सान हर *पहर* मर रहा है ।।
आज का इन्सान हर *पहर* मर रहा है ।।
Ashwini sharma
Loading...