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16 Jul 2018 · 1 min read

मुक्तक

आज भी तेरी जिग़र में आरज़ू जवां है।
आज भी निगाह में ख्व़ाबों का कारवां है।
उल्फ़त के समन्दर में तूफ़ान हैं लेकिन-
मुसीबत में ठहरने का हौसला रवां है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
253 Views
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