मुक्तक
आज भी तेरी जिग़र में आरज़ू जवां है।
आज भी निगाह में ख्व़ाबों का कारवां है।
उल्फ़त के समन्दर में तूफ़ान हैं लेकिन-
मुसीबत में ठहरने का हौसला रवां है।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
आज भी तेरी जिग़र में आरज़ू जवां है।
आज भी निगाह में ख्व़ाबों का कारवां है।
उल्फ़त के समन्दर में तूफ़ान हैं लेकिन-
मुसीबत में ठहरने का हौसला रवां है।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय