मुक्तक
माँ को मेरे ऐसा अक्सर लगता है।
मेरा बेटा अब तो अफ़सर लगता है
सूटबूट से जब भी निकलूँ मैं घर से
कहती पूरब का तू दिनकर लगता है।।
भाऊराव महंत “भाऊ”
माँ को मेरे ऐसा अक्सर लगता है।
मेरा बेटा अब तो अफ़सर लगता है
सूटबूट से जब भी निकलूँ मैं घर से
कहती पूरब का तू दिनकर लगता है।।
भाऊराव महंत “भाऊ”