मुक्तक
जो मस्तियों का दौर था वो आज नहीं है!
अब जिन्दगी में शौक का मिजाज नहीं है!
टुकड़ों में नजर आती हैं वस्ल की रातें,
अब जुस्तजू में जोश का अंदाज नहीं है!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
जो मस्तियों का दौर था वो आज नहीं है!
अब जिन्दगी में शौक का मिजाज नहीं है!
टुकड़ों में नजर आती हैं वस्ल की रातें,
अब जुस्तजू में जोश का अंदाज नहीं है!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय