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2 Feb 2018 · 1 min read

मुक्तक

जो मस्तियों का दौर था वो आज नहीं है!
अब जिन्दगी में शौक का मिजाज नहीं है!
टुकड़ों में नजर आती हैं वस्ल की रातें,
अब जुस्तजू में जोश का अंदाज नहीं है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
333 Views
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