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5 Jan 2018 · 1 min read

मुक्तक

हरबार तुम एक ही नादानी करते हो!
हर किसी से जिक्र तुम कहानी करते हो!
हँसते हुए सहते हो अपनों के सितम को,
हरबार तुम अपनी कुर्बानी करते हो!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
220 Views
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