मुक्तक
गमों के खेत में जो हौंसलों कि डाली है
इसी ने उस खुदा की बन्दगी बचा ली है
गुलों को देखकर जो हसरतें जवाँ थीं “मन”
खिजाँ के दौर ने वो हसरतें उठा ली है
गमों के खेत में जो हौंसलों कि डाली है
इसी ने उस खुदा की बन्दगी बचा ली है
गुलों को देखकर जो हसरतें जवाँ थीं “मन”
खिजाँ के दौर ने वो हसरतें उठा ली है