मुक्तक
कभी तो किसी शाम को घर चले आओ!
कभी तो दर्द से बेखबर चले आओ!
रात गुजरती है मयखाने में तेरी,
राहे-बेखुदी से मुड़कर चले आओ!
मुक्तककार – #मिथिलेश_राय
#मात्रा_भार_22
कभी तो किसी शाम को घर चले आओ!
कभी तो दर्द से बेखबर चले आओ!
रात गुजरती है मयखाने में तेरी,
राहे-बेखुदी से मुड़कर चले आओ!
मुक्तककार – #मिथिलेश_राय
#मात्रा_भार_22